1. हमेशा खुश एवं शांत भाव में रहें, इसके फलस्वरूप आपका बच्चा खुश एवं शांत प्रकृति का होगा, गर्भावस्था एक प्राकृतिक अवस्था है जो हर महिला के जीवन में आवश्यक है।
2. अपने डॉक्टर पर पूर्ण विश्वास करें, उन्हें अपना मित्र एवं परिवार का सदस्य समझें, हर वह प्रश्न जो आपके दिमाग में आए, डॉक्टर से अवश्य पूछें, स्वयं कोई भी दवा का प्रयोग न करें।
3. संतुलित भोजन का सेवन करें, कम से कम एक गिलास दूध, थोड़ी दही, सब्जी, दाल इत्यादि प्रचुर मात्रा में लें, यदि संभव हो तो शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें।
4. पहले 6 माह में प्रत्येक माह में जांच, सातवें व आठवें माह में प्रत्येक 15 दिनों में और उसके बाद प्रत्येक सप्ताह में जांच कराना चाहिए।
5. ऊंची ऐंडी का जूता न पहनें, ऐसे वाहन एवं सड़क (उबड़- खाबड़) का इस्तेमाल न करें जिससे उछाल या झटका लगे।
6. पहले तीन माह एवं अंतिम दो माह में-
– बहुत ज्यादा दूरी तक पैदल न चलें या कठिन व्यायाम न करें।
– वाहन का चालन स्वयं न करें।
– कठिन कार्य न करें।
– पति से शारीरिक सम्पर्क कम करें।
7. अपने डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें, यदि-
(क) रक्त स्त्राव शुरू हो।
(ख) पानी गिरने लगे।
(ग) बच्चे की हलचल यदि कम होने लगे, 12 घंटे में 12 बार से अधिक हलचल होना चाहिए।
(घ) प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए।
8. 8-10 घंटे की नींद रात में एवं एक घंटा दिन में सोना आवश्यक है, सायंकाल का व्यायाम हमेशा करते रहें।
9. पहले बच्चे में गर्भपात कदापि न सोचें, जब तक चिकित्सकीय दृष्टिकोण से आवश्यक न हो।
10. अच्छी पुस्तकों को पढ़ें, ईश्वर को हमेशा ध्यान में रखें, अच्छे लोगो की संगति करें, एवं हमेशा सकारात्मक जीवन जीयें, जहां तक संभव हो ध्यान करें, इन बातों का असर अपके आने वाले बच्चे पर होगा।